वोटों की गिनती के बाद EVM का क्या काम है? पोलिंग बूथ से स्ट्रांग रूम तक कैसे जाता है?

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चुनाव में इस्तेमाल होने वाले EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) मशीन की वोटिंग की गिनती होने के बाद और परिणाम घोषित होते ही चुनाव आयोग इन मशीनों का क्या करता है?

लोकसभा चुनाव 2024 में पोलिंग बूथ और EVM की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में सिक्योरिटी की तैनाती हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 90 करोड़ मतदाता ने अपना वोट EVM के द्वारा दिया था. उसे दौरान लगभग 40 लाख EVM का इस्तेमाल हुआ था. लोकसभा चुनाव 2024 के 7 चरणों पर EVM के जरिए वोटिंग की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) मशीन की वोटिंग की गिनती होने के बाद और परिणाम घोषित होते ही चुनाव आयोग इन मशीनों का क्या करता है? आईए जानते हैं पूरी प्रक्रिया.

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पोलिंग बूथ से लेकर स्ट्रांग रूम तक कैसे होती है सुरक्षा?

देश के मतदाता EVM के जरिए वोटिंग करते हैं. उसके बाद मशीन को मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम तक ले जाने तक कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. वोटिंग होने के बाद EVM को सील किया जाता है. जिसके बाद प्रत्याशी या उनके पोलिंग एजेंट सील होने के बाद उसे पर अनुमति देने के लिए सिग्नेचर करते हैं. वह तब तक साथ रहते हैं जब तक मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम तक EVM पहुंच ना जाए.

परिणाम के बाद 45 दिन सील

EVM की गिनती (वोट) के बाद परिणाम घोषित किए जाते हैं. ऐसे में ईवीएम मशीन को एक बार फिर स्ट्रांग रूम में सील किया जाता है. यह सभी प्रक्रिया क्षेत्र के उम्मीदवारों के प्रतिनिधि की मौजूदगी में ही किया जाता है. जब तक उनकी अनुमति नहीं होगी यह सील नहीं होगा.

बता दें कि चुनाव के नतीजे आने के बाद उम्मीदवारों को लगभग 45 दिन का वक्त दिया जाता है. नियमानुसार उम्मीदवार को अगर किसी तरीके से कोई संदेह होता है तय सीमा के अंदर उन्हें आवेदन दिया जाता है.

मतदान की गिनती के बाद मशीन कहाँ जाता है?

चुनाव आयोग के जानकारी मुताबिक EVM को 45 दिन तक स्टोरेज रूम में सील रखने के बाद उसकी इंजीनियर द्वारा जांच की जाती है. यह जांच की प्रक्रिया कई चरणों में सुनिश्चित की जाती है. जिसमें प्रतिनिधियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों को संतुष्ट किया जाना अनिवार्य है.

इसके बाद चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी इस पर हस्ताक्षर करते हैं और EVM को वापस मतदान के लिए भेजे जाने से पहले कई राउंड में उसकी फिर से चेकिंग की जाती है. जब तक यह तकनीकी रूप से प्रूफ नहीं हो जाता कि ईवीएम मशीन पूरे तरीके से वोटिंग के लिए तैयार है तब तक इस पर रोक लगी होती है.

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