ED द्वारा जब्त पैसों का क्या होता है? PM मोदी जिसे बांटने का दावा कर रहे हैं!

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जानें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा छापेमारी या पूछताछ के दौरान जब्त किए गए पैसों का क्या होता है और एजेंसी उस पर कैसे कार्रवाई करती है

लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों ED यानी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त पैसों को गरीबों को देने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अब सवाल उठता है ED जिन पैसों को छापेमारी या पूछताछ के दौरान जब्त करती है वो कहाँ जाते हैं? इसके अलावा सवाल है कि पीएम मोदी के दावे में कितनी सच्चाई है? क्या जब्त पैसे जनता के पास जा सकती है? आइये जानते हैं

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ED द्वारा जब्त पैसे!

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एजेंसी जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्यवाई करने के लिए स्वतंत्र है. इसके अलावा आर्थिक अपराध पर अंकुश लगाने के लिए फेमा समेत फॉरेन एक्सचेंज पर भी नजर बनाये रखती है. ऐसे में आपने कई बाद देश के अलग अलग राज्यों से ED द्वारा छापेमारी में मिले पैसे और आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में सुना होगा.

ताजा उदहारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल है जो अभी भी ED के गिरफ्त में हैं. उन्हें 100 करोड़ के आबकारी घोटाले में हिरासत में लिया गया है.

पैसों का क्या होता है?

ED के पास कार्यवाई के तहत संपत्ति या धन जब्त करने का पूरा अधिकार है. एजेंसी ने साल 2014 से लेकर अबतक 3000 तक रेड मारे हैं. ये आंकड़ें UPA सरकार से कई गुना ज्यादा है. बता दें कि ED अगर किसी के यहां छापेमारी से पैसे, गहने या अन्य चीजें जब्त करता है तो उसका एक प्रोसीजर होता है.

  • मान लीजिये की ED ने आरोपी के यहां छापेमारी के दौरान 1 करोड़ रुपये जब्त किये हैं. तो ऐसे में इसे एजेंसी के पर्सनल डिपॉजिट अकाउंट में जमा कर दिया जाता है.
  • मामलें में आरोपी को कोर्ट के अंदर पूरा ब्यौरा देना पड़ता है. डिटेल्स के साथ बताना पड़ता है कि ये पैसे भ्रष्टाचार के पैसे नहीं हैं. ऐसे में अगर वो सही साबित हुआ तो उसे एजेंसी द्वारा पैसे वापस किया जाता है.
  • गलत साबित होने पर ED द्वारा जब्त पैसों पर फिर केंद्र सरकार का अधिकार होता है. केंद्र सरकार के पास भेजे गए पैसों को फिर जनता के डेव्लपमेंट पर खर्च किया जाता है और इसे पब्लिक मनी का नाम दिया गया है.
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